Alone Status For Facebook
वो हाल भी ना पूछ सके…हमे..बे-हाल देख कर……हम हाल भी…ना बता सके… उसे खुश-हाल देख कर.,,,,,
किसी से कभी कोई उम्मीद मत रखो क्योंकि उम्मीद हमेशा दर्द देती है,,,,, ,,,,,
कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं जब दिल भर जाता है तो लोग अक्सर रूठ जाया करते हैं ,,,,,
आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं.. आंख बरसे तो क्या किया जाए,,,,,
यकीनन हो रही होंगी बैचेनियां तुम्हें भी , ये और बात है कि तुम नजरअंदाज कर रहे हो,,,,,
तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को, ना कोई काम करता है,ना कोई बात सुनता है,,,,,
ज़िन्दगी से भला क्या शिकायत करें बस जिसे चाहा उसने समझा ही नही,,,,,
साजिशों का पहरा होता है हर वक़्त रिश्ते भी बेचारे क्या करें, टूट जाते हैं बिखर कर,,,,,
कुछ कह गए, कुछ सह गए, कुछ कहते कहते रह गए.. मै सही तुम गलत के खेल में, न जाने कितने रिश्ते ढह गए,,,,,
मुस्कुराने की अब वजह याद नहीं रहती, पाला है बड़े नाज़ से मेरे गमों ने मुझे,,,,,
अब तो खुद को भी निखारा नहीं जाता मुझसे _वे भी क्या दिन थे कि तुमको भी संवारा हमने ,,,,,
एक सफर जहां फिरसे सब ‘शून्य’ से शुरू करना होगा,,,,,
रिश्तों को वक़्त और हालात बदल देते हैं…अब तेरा ज़िक्र होने पर हम बात बदल देते हैं,,,,,
इस छोटी सी उम्र में कितना कुछ लिख दिया मैंने, उम्रें लग जायेंगी, तुम्हे मुझे पूरा पढ़ने में,,,,,
कभी सोचा न था की वो भी मुझे तनहा कर जायेगा!जो अक्सर परेशान देखकर कहता था…. मैं हूँ न,,,,,
जब रिश्ते ही दम तोड़ चुके हों…. तो फिर प्यार, इजहार,गलती का अहसास ,सही गलत कुछ भी मैटर नहीं करता,,,,,
कभी कभी नाराज़गी दूसरों से ज्यादा खुद से होती है ,,,,,
उस दिन चैन तो तुम्हारा भी उड़ेगा जिस दिन हम तुम्हे लिखना छोड़ देंगे ,,,,,
चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका, डर है कहीं कह ना दे के ये हक तुम्हे किसने दिया,,,,,
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है, मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है ,हम तन्हाई में बैठे रोते है,लोगो ने हमे महफ़िल में हस्ते देखा है,,,,,
परछाई से पूछ ही लिया , क्यों चलते हो.. मेरे साथ..उसने भी हंसके कहा ,और कौन है…तेरे साथ,,,,,
उनका बादा भी अजीब था – बोले जिन्दगी भर साथ निभाएंगे ,पर पागल हम थे – ये पूछना भूल ही गए के मोहबत के साथ या यादो के साथ ,,,,,
भूल सा गया हैं बो मुझे , समज नहीं आ रहा की हम आम हो गए उनके लिए या कोई खास बन गया है,,,,,
जो फ़ुरसत मिली तो मुड़कर देख लेता मुझे एक दफा तेरे प्यार में पागल होने की चाहत मुझे आज भी हे,,,,,
उसकी मोहबत पे मेरा हक़ तो नहीं लेकिन ,दिल करता है के उम्र भर उसका इंतज़ार करू ,,,,,
हजारो चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको.. पर. दिल भी जिद पे अड़ा था कि अगर बो नहीं , तो उसके जैसा भी नहीं,,,,,
फिर एक दिन ऐसा भी आया जिन्दगी में..की मैंने तेरा नाम सुनकर मुस्कुराना छोड़ दिया,,,,,
बहुत उदास हे कोई तेरे जाने से हो सके तो लौट आ किसी बहाने से, तू लाख खफा सही मगर एक बार तो देख ,कोइ टूट गया है तेरे रूठ जाने से,,,,,
पास आकर सभी दूर चले जाते है अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते है इस दिल का दर्द दिखाए किसे मल्हम लगाने वाले ही जख्म दे जाते है,,,,,
तन्हा रहना तो सीख लिया , पर खुश ना कभी रह पायेगे , तेरी दूरी तो सह लेता दिल मेरा, पर तेरे प्यार के बिन ना जी पायेंगे,,,,,
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी..और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ..,,,,,
आज सोचा कि…. कुछ तेरे सिवा सोचूँ ..!!! .अभी तक इसी सोच में हूँ कि क्या सोचूँ .,,,,,
बहुत भीड हो गई है लोगों के दिलों में…इसलिए आजकल हम अकेले ही रहते हैं,,,,,
बस एक भूलने का हुनर ही तो नहीं आता…वरना भूलना तो हम भी बहुत कुछ चाहते हैं,,,,,
काश ये दिल बेजान होता…न किसी के आने से धडकता…न किसी के जाने से तडपता,,,,,
चैन से गुज़र रही थी ज़िन्दगी,और फिर तुम मिल गए,,,,,
दो पल भी नहीं गुज़रते तुम्हारे बिन,ये ज़िन्दगी ना जाने कैसे गुज़ारेंगे,,,,,
रात नई हैं,यादें पुरानी,,,,,
कितना भी मुश्किल क्यूँ न हो सफ़र जिंदगी का, मोहब्बत का साथ मिले तो आसानी से कट जाता है ,,,,,
न जख्म भरे…,न शराब सहारा हुई..न वो वापस लौटी… न मोहब्बत दोबारा हुई.,,,,,
उनको लगी खरोंच का पता पुरे शहर को है, हमारे गहरे जख्म की कहीं चर्चा तक नहीं ,,,,,
कहते थे मुझे डर है कहीं मैं खो न दूँ तुम्हे, सामना होने पर मैंने उन्हें चुपचाप गुजरते देखा है.,,,,,
कुछ नहीं लिखने को आज…. न बात , न ज़ज्बात,,,,,
हमें भी शौक था दरिया -ऐ इश्क में तैरने का, एक शख्स ने ऐसा डुबाया कि अभी तक किनारा न मिला.,,,,,
मालूम है मुझे की ये मुमकिन नहीं मगर एक आस सी रहती है कि तुम याद करोगे मुझें,,,,,
जुनून सवार था किसीके अंदर ज़िंदा रहने का….हुआ यूं के हम अपने अंदर ही मर गये,,,,,
अजीब तरह से गुजर गयी मेरी जिंदगी, सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ,,,,,
तुमको भी कहाँ जरूरत है मेरी, तुम्हारे लिये तो मैं भी बिछड़ा हुआ जमाना हूँ.,,,,,
क्यों तुम खामोश हो गये..जी अब तक नहीं भरा था तेरी बातों से.,,,,,
समझ में ही नही आता कभी-कभी, ये सब क्या हो रहा जिंदगी में…बस.. चुप-चाप तमाशे देख रही हु जिंदगी के,,,,,
अब तो वक्त ही उसे बतायेगा, की कितने कीमती थे हम ,,,,,
याद तो रोज करते है उन्हें , पर उन्होने कभी महसूस ही न किया.. ,,,,,
मुझे भी अब नींद की तलब नहीं रही,अब रातों को जागना अच्छा लगता है,,,,,
बिखरे पल,भीगी पलके और ये तन्हाई है…..कुछ सौगाते है जो मोहब्बत से कमाई है.,,,,,
माना की मरने वालों को भुला देतें है….सभी …मुझे जिंदा भूलकर उसने कहावत ही बदल दी,,,,,