Complaint Status For Facebook
यह जरुरी नहीं मेरी हर बात तुम समझो, मगर जरुरी यह है की तुम मुझे तो समझो ,,,,,
सुना है काफी पढ़ लिख गई हो तुम, कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते ,,,,,
चुपके से उसको एक गुलाब भेजा था मगर, खुशबू ने शहर भर में तमाशा बना दिया ,,,,,
दिल बहलाने के लिये ही गुफ्तुगू कर लिया करो जनाब, मालूम तो मुझे भी है की हम आपको अच्छे नहीं लगते ,,,,,
नजर और नसीब के मिलने का इत्तफाक कुछ ऐसा है की, नजर को हंमेशा वही पसंद आता है जो नसीब मे नहीं होता ,,,,,
काश कुछ अल्फ़ाज़ मुझे लिखने आ जाएँ, ताकि तुम क्या हो मेरे लिए ये हम तुम्हे बता पाएँ ,,,,,
आज मैंने दिल के जज्बात भेजे, तुमने फिर भी अलफ़ाज़ ही समझे ,,,,,
सुनो, तुम ही रख लो अपना बना कर, औरों ने तो छोड़ दिया तुम्हारा समझकर ,,,,,
चलते तो है वो साथ पर अंदाज़ देखिए, जैसे की इश्क़ करके वो एहसान कर रहे है ,,,,,
हो गई थी दिल को कुछ उम्मीद सी तुमसे, खैर तुमने जो किया अच्छा किया ,,,,,
काश मेरा घर तेरे दर के करीब होता, मिलना ना सही देखना तो नसीब होता ,,,,,
तुम्हे अपना कहने की तमन्ना थी दिल में, मगर लबों तक आते आते तुम गैर हो गए ,,,,,
मौत से इसलिए भी डरता हूँ की ऊपरवाले को क्या मुँह दिखाऊंगा, क्यूंकि यहाँ मैंने खुदा किसी और को माना था ,,,,,
अब और नहीं होती इश्क की गुलामी, यारो कह दो उसे, हो जाये जिसका होना है ,,,,,
बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद, ये तुम मोहब्बत करती हो या नशा कोई ,,,,,
कोशिश के बावजूद भी जो पूरी न हो सके, तेरा नाम भी उन्ही ख्वाइशों में से है ,,,,,
कांच की तरह होते है गरीबों के दिल, कभी टूट जाते है तो कभी तोड़ दिए जाते है ,,,,,
कभी तो यकीन कर लो तुम मेरी मोहब्बत का, कहीं उमर न गुज़र जाये मुझे आज़माने में ,,,,,
मेरी नाराज़गी तुमसे नहीं बल्कि तुम्हारे वक्त से है, जो तुम्हारे पास मेरे लिए नहीं है ,,,,,
रहने दो अब तुम मुझे पढ ना सकोगे, बरसात में भीगे हुए कागज की तरह हूँ मैं ,,,,,
ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से वो लोग, जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते ,,,,,
इतनी लंबी उम्र मत माँग मेरे लिए, ऐसा ना हो की तुम भी छोड दो और मौत भी ना आऐ ,,,,,
हमें भी आते है अंदाज़ दिल तोड़ने के, हर दिल में ख़ुदा बसता है यही सोचकर चुप हूँ ,,,,,
तुम्हारा हर अंदाज़ अच्छा है, सिवाय नज़र अंदाज़ करने के ,,,,,
हम जा रहे है वहां जहाँ दिल की क़दर हो, बैठे रहो तुम अपनी अदाएं लिए हुए ,,,,,
उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी, उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी ,,,,,
हजारों चेहरों में एक तुम ही थे जिस पर हम मर मिटे वरना, ना चाहतो की कमी थी और ना चाहने वालो की ,,,,,
प्यार करना तो सीख गए आप लेकिन, प्यार की कद्र करना नहीं सीखा आपने ,,,,,
आज मेरे साथ दो कदम चलकर थक गई हो तुम, जरा ये बता दो की ऐसे रिश्ते कितने दिन चलते है ,,,,,
बहुत महंगा हो गया है ये इश्क़ जनाब आजकल, अब उसे पहली मुलाकात में दिल नहीं तोहफे चाहिये ,,,,,
कुछ इसलिये भी नहीं करते हाल ए दिल बयां, समझता कोई नहीं और समझाता हर कोई है ,,,,,
सुना था की दर्द का एहसास तो अपनो को होता है, यहाँ तो दर्द ही अपने देते है तो एहसास कौन करेगा ,,,,,
यही सोचकर कोई सफाई नहीं दी हमने की, इल्जाम झूठे भले है, पर लगाये तो तुमने है ,,,,,
मोहब्बत ना थी तो एक बार समझाया तो होता, बेचारा दिल तुम्हारी खमोशी को इश्क समझ बैठा ,,,,,
उनको डर है की हम उन के लिए जान नही दे सकते, और मुझे खोफ़ है की वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद ,,,,,
कुछ ना किया मगर वो दर्द बेहिसाब दे गये, देखो ना ! मुझ अनपढ को मोहब्बत की किताब दे गये ,,,,,
तूने चुप रहकर और भी ढाया है सितम, तुझसे तो अच्छे है मेरे इस हाल पे हंसने वाले ,,,,,
कभी हक़ीक़त में भी बढ़ाया करो ताल्लुक़ हमसे, शायद फिर से जिन्दा हो जाय हम ,,,,,
वो जब जब लड़खड़ाते है, वजूद मेरा डगमगाता है ,,,,,
वो अक्सर मुझसे पूछा करती थी की तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे, काश मैंने भी पूछ लिया होता ,,,,,
उसूलों के तो हम भी बड़े पक्के थे, बस तेरे आगे ही दिल की एक ना चली ,,,,,
खुद ही करते है शिकवा खुद ही सुना करते है हम, पहले तो कहां करते थे वो और सुना करते थे हम ,,,,,
कोई इल्ज़ाम रह गया हैं तो वो भी दे दो, पहले भी बुरे थे हम, अब थोड़े और सही ,,,,,
ना चाहते हुए भी आ जाता है, लबो पर नाम तेरा, कभी तेरी तारीफों में तो कभी तेरी शिकायत में ,,,,,
इतना रोई मेरी मौत पे मुझे जगाने के लिए, मैं मरता ही क्यो अगर वो थोड़ा रो देती मुझे पाने के लिए ,,,,,
चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर, कदर क्या होती है ये तुझे वक़्त सिखाएगा ,,,,,
उफ़ ये तेरा अकसर मुजको भूल जाना, अगर दिल ना दिया होता तो जान ले लेता ,,,,,
मेरा दिल यूँ ही पत्थर का ना बन गया होता, ये पिघल जाता जो तूने इसे छू लिया होता ,,,,,
तेरी मोहब्बत को कभी खेल नही समजा, वरना खेल तो इतने खेले है की कभी हारे नही ,,,,,
काश ऐसा कोई मंज़र होता, मेरे कांधे पे तेरा सर होता ,,,,,
मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते, या तो लोहे की तरह जोड़ दे या फिर धागे की तरह तोड़ ,,,,,
मैंने गम के तबादले की अर्जी लगा रखी है, पता नहीं उसने कौन सी फ़ाइल में इसे दबा के रखी है ,,,,,
एक वो पगली है जो मुझे समजती ही नहीं, और यहाँ ज़माना मेरे स्टेटस को देखके दीवाना हुआ जा रहा है ,,,,,
तुम्हे गैरों से कब फुर्सत, हम अपने ग़म से कब ख़ाली, चलो बस हो चुका मिलना, न तुम ख़ाली न हम ख़ाली ,,,,,
कुछ लोग आंसुओं की तरह होते है, पता ही नहीं चलता की साथ दे रहे है या साथ छोड़ रहे है ,,,,,
वो जो मिली हमारी थी ही नहीं, और जो हमारी थी वो मिली ही नहीं ,,,,,