Complaint Status for WhatsApp
तुम्हारे हर सवाल का जवाब मेरी आँखों में था, और तुम मेरी जुबान खुलने का इन्तेजार करते रहे ,,,,,
काश तु एक बार तो लगा लेती मुझे अपने सीने से, फिर तो रब अगर जन्नत में जगह देता तो भी मना कर देता ,,,,,
नाकाम मोहब्बत भी बड़े काम की होती है दोस्तों, दिल मिले ना मिले पर इलज़ाम जरुर मिल जाता है ,,,,,
उसने कहा की अगर नसीब हुआ तो हम ज़रूर मिलेंगे, मैंने कहा की अगर हम बदनसीब हुए तो कैसे जी पायेंगे ,,,,,
कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला, जो भी मिलता है समझा के चला जाता है ,,,,,
मुझे नज़र-अदांज करने की एक वजह तो बता, फिर मैं तुझे चाहने की हज़ार वजह बताउँगा ,,,,,
मैं यह नहीं कहता की मेरी खबर पुछो तुम, खुद किस हाल में हो इतना तो बता दिया करो ,,,,,
तमन्ना तो हरएक पंखुडी को सजा के रखने की थी, पर अफसोस की तुमने कोई फूल दिया ही नहीं ,,,,,
मेरी ख़ामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, और शिकायत में दो लफ्ज़ भी कह दूँ तो वो चुभ जाते है ,,,,,
हमने सोचा था की बताएंगे सब दुःख दर्द तुमको, पर तुमने तो इतना भी न पूछा की खामोश क्यों हो ,,,,,
तुम लिखते रहे मेरे आंसुओ पे ग़ज़ल, अफ़सोस है की ये भी न पूछा रोते क्यों हो ,,,,,
नया नया शौक उन्हे रुठने का लगा है, खुद ही भूल जाते है की रूठे किस बात पे थे ,,,,,
वो हाल ना पूछ सके हमें बेहाल देखकर, हम अपने हाल ना बता सके उनको खुशहाल देखकर ,,,,,
अजब अनदाज है उनका जबाब माँगने का, होठों पर रख के होठ कहते है बोलते क्यूँ नहीं ,,,,,
तुम्हारी प्यार भरी निगाहों पर हमें कुछ तो गुमान होता है, देखो ना मुझे इस क़दर मदहोश नज़रों से की दिल बेईमान होता है ,,,,,
मैं उसका हूँ ये राज तो वो जान गई है, वो किसकी है ये सवाल मुझे सोने नहीं देता ,,,,,
मेरे शेर सुन के भी जो खामोश इतनी है, राम ही जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितनी है ,,,,,
समझ में नहीं आता की किस पे भरोसा करूं, यहां तो लोग नफ़रत भी करते है मोहब्बत की तरह ,,,,,
इतना भी हमसे नाराज़ मत हुआ करो, बदकिस्मत ज़रूर है हम मगर बेवफा नहीं ,,,,,
तुमसे अच्छा तो हम चाँद से ही मोहब्बत कर लेते, लाख दूर सही पर नजर तो आता है ,,,,,
वो रूठ के बोले की तुम्हे सब शिकायत मुझसे ही है, मैंने सर झुका कर कह दिया की मुझे सब उम्मीदे भी तो तुम से ही है ,,,,,
जरा सी बात पे भिगो देते हो पलकें, तुम्हे तो अपने दिल का हाल बताना भी मुश्किल है ,,,,,
वो तुम हो जीसे हमने सोंपी है दिल की सभी धड़कने, और तुम हो जो अपना एक पल देने को हज़ार बार सोचते हो ,,,,,
तू वैसी ही है जैसा मैं चाहता हूँ, बस मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहती है ,,,,,
चलो माना की हमें प्यार का इजहार करना नहीं आता जज़्बात ना समझ सको इतने नादान तो तुम भी नहीं ,,,,,
फिर से ग़लतफ़हमियों में डाल दिया, जाते वक्त मुस्कुराना जरुरी था क्या ,,,,,
उसे अपना कहने की बड़ी तमन्ना थी दिल में, इससे पहले की बात लबो पर आती वो गैर हो गये ,,,,,
तिनका तिनका ज़रा ज़रा है रोशनी से जैसे भरा हर दिल में अरमान होते तो है बस कोई समझे ज़रा ,,,,,
उसकी तरक्कियों की कहानी में मैं भी हूँ, अब देखना ये है की वो सुनाता कहाँ से है ,,,,,
सुनो तुम दिल दुखाया करो इजाजत है, बस कभी भूलने की बात मत करना ,,,,,
जो हमे अपनी लाइफ का टाइम पास बनाते रहेते है, दिल भी साला उसके ही पीछे पागल होता है ,,,,,
मुझे तेरी जैसी नहीं मिलेगी ये मुझे पता है, लेकिन तू मेरे भी मेरे जैसा ढूंढ के दिखा तो मैं मानु ,,,,,
तूने मेरा आज देख के मुझे ठुकराया है, हमने तो तेरा गुजरा कल देख के भी मोहब्बत की थी ,,,,,
हमने ही सिखाया था उसे बाते करना, आज हमारे लिए ही वक्त नहीं है ,,,,,
तुम तो डर गए एक ही कसम से, हमे तो तुम्हारी कसम देकर हजारो ने लुटा है ,,,,,
कोई भी दीवारें मुझे तुमसे मिलने से ना रोक पाती, अगर तू मेरे साथ होती तो ,,,,,
अब शिकायते तुम से नहीं खुद से है, माना की सारे झूठ तेरे थे लेकिन उन पर यकीन तो मेरा था ,,,,,
बड़ी नादान है इस निकम्मे दिल की हरकतें, जो मिल गया उसकी कदर नहीं और जो ना मिला उसे भूलता नहीं ,,,,,
मेरे दिल से ज्यादा मतलबी और कौन होगा, जो बिना मतलब के भी बस तुझ से ही प्यार करता है ,,,,,
सौ दुशमन बनाए हमने किसी ने कुछ ना कहा, एक को हमसफर क्या बनाया सौ उँगलियाँ उठ गई ,,,,,
खता इतनी थी की उनको पाने की कोशिश की, अगर छिनने की कोशिश करते तो बेशक वो हमारे होते ,,,,,
हमे तो प्यार के दो लफ्ज भी नसीब नही हुआ, और बदनाम तो एसे हुए की जैसे इश्क के बादशाह थे हम ,,,,,
हमारे बाद कभी नही आएगा तुम्हे चाहत का मज़ा, तुम सबसे कहती फिरोगी की हमे चाहो उसकी तरह ,,,,,
कर ली ना तसल्ली तुमने दिल तोड़कर मेरा, मैने कहा भी था कुछ नही है इसमे तुम्हारे सिवा ,,,,,
उसे रास ही ना आया मेरा साथ, वर्ना मैं उसे जीते जी खुदा बना देता ,,,,,
तबाह हूँ तेरे प्यार में, तुझे दुसरो का खयाल है, मेरे मसले पर गौर कर, जिन्दगी का सवाल है ,,,,,
शिकायते वहाँ होती है जहाँ ऐतबार ना हो, मेरा तो यकीन ही तुम हो तो शिकायत कैसी ,,,,,
तुम मौसम की तरह बदल रही हो, मैं फसल की तरह बरबाद हो रहा हूँ !!!!,,,,
तू होश में थी फिर भी हमें पहचान न पायी, एक हम है की पी कर भी तेरा नाम लेते रहे ,,,,,
हर शख्स को नफरत झूठ से है, मैं परेशान हु ये सोच कर की फिर ये झूठ बोलता कौन है ,,,,,
एक वक़्त तक मैं उसकी ज़रूरत बना रहा, फिर यूँ हुआ ली उसकी ज़रूरत बदल गयी ,,,,,
कोहराम मचा रखा है मेरी सर्द आहो ने, तेरे दिल का मौसम है जो बदलने का नाम नहीं लेता ,,,,,
रंगो की बात न करो दोस्तो, मैने लोगो को रंग बदलते देखा है ,,,,,
शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई, तुझे भुलाने की जीद थी मगर तेरी आदत सी हो गई ,,,,,
हम ख़ुशबू जैसे लोग है, बस बिखरे-बिखरे रहते है ,,,,,
किस बात पर मिजाज बदला बदला सा है, शिकायत है हमसे या असर किसी और का है ,,,,,
ना मोहब्बते संभाली गई, ना ही नफरते पाली गई, है बड़ा अफ़सोस उस जिंदगी का जो तेरे पीछे खाली गई ,,,,,
शिकवा करने गये थे और इबादत सी हो गई, तुझे भुलाने की जीद थी मगर तेरी आदत सी हो गई ,,,,,
हम ख़ुशबू जैसे लोग है, बस बिखरे-बिखरे रहते है ,,,,,
किस बात पर मिजाज बदला बदला सा है, शिकायत है हमसे या असर किसी और का है ,,,,,
ना मोहब्बते संभाली गई, ना ही नफरते पाली गई, है बड़ा अफ़सोस उस जिंदगी का जो तेरे पीछे खाली गई ,,,,,
कोशिश तो करते थोड़ी, मिलना ना मिलना तो खुदा के हाथ में था ,,,,,
भुला दिया है सब अपनो ने इस तरह से, जैसे की हम इस जहाँ में रहते ही नहीं ,,,,,
मेरी खामोशी से नाराज न हो जाना तुम, अक्सर इश्क खामोश कर देता है ,,,,,
लम्हो की दौलत से दोनो महरूम रहे, मुझे चुराना न आया, तुम्हे कमाना न आया !!!!,,,, ,,,,,
शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नहीं कर सकता, मेरे होठों को इजाजत नहीं तेरे खिलाफ बोलने की ,,,,,
इतनी शिकायत, इतनी शर्ते, इतनी पाबन्दी, तुम मोहब्बत कर रहे हो या सौदा कोई ,,,,,
दिल भी कितना अजीब है यारो, साला रहेता है मेरे सिने में और सोचता है किसी और के लिए ,,,,,
ये जरुरी तो नहीं की जिनके दिल में प्यार हो, उनकी किस्मत में भी प्यार हो ,,,,,
मैं उससे तूफानो में साथ निभाने की उम्मीद करता रहा, जो निकल ना सकी घर से बारिशों का बहाना करके ,,,,,
ऐसा नहीं है की हमे बातें बुरी नहीं लगती, एक बस तेरे लिये सारे गुनाह माफ है !!!!,,,, ,,,,,
लूट लेते है अपने ही वरना गैरों को क्या पता, दिल की दीवार कहाँ से कमजोर है ,,,,,
कहाँ ये जानते थे की रस्में उल्फ़त कभी यूँ भी निभानी होगी, तुम सामने भी होंगे और हमें नजरें झुकानी होगी ,,,,,
अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तहा तो, हम तुमसे नहीं तुम हमसे मोहब्बत करते ,,,,,
न खुद रहने आते हो और न किसी को रहने देते हो, आखिर खुद आकर आबाद दिल का ये मकान क्यूँ नहीं करते ,,,,,
छोटी छोटी बातों पर रुलाने की आदत है उसे, और कहते है आँखों में मुझे रखना काजल की तरह ,,,,,