
Complaint Status
मुझे फर्क नहीं पडता की तुम मेरे हो या नहीं, लेकिन ये बताओ की जहाँ हो ठीक हो या नहीं ,,,,,
अब आ गए हो आप तो आता नहीं कुछ याद, वरना कुछ हम को आप से कहना ज़रूर था ,,,,,
तुम्हें मालुम था ना की मैं तुम बिन जी नहीं सकती, काश मेरे मजबूत होने तक तो तू मेरा साथ देता ,,,,,
उम्र के आखरी पड़ाव तक तुझे भूलूंगा तो नहीं, लेकिन तुझसे खफा भी रहूँगा उसी पड़ाव तक ,,,,,
उसके लिए प्यार सिर्फ एक खेल था, वो जीत गए और हम हार गए ,,,,,
रो रो कर उसने कहा मुझे नफरत है तुमसे, अगर नफरत ही थी तो फिर वो इतना रोये क्यूँ ,,,,,
तेरी तलब में जला डाले सारे आशियाने, कहाँ रहूँ मैं तेरे दिल में घर बनने तक ,,,,,
शिकायत खुद से भी है और खुदा से भी, जो मिलता है वो मंजूर नहीं और जिसे चाहो वो हाँसिल नहीं ,,,,,
फैंसला ये है की अब आवाज नहीं देनी किसीको, हम भी देखे कौन कितना तलबगार है हमारा ,,,,,
मेरी गलती सामने आयी तो जज बन गए, तुम्हारी गलती सामने आयी तो वकील बन गए ,,,,,
बात करे तो लगता है वो सिर्फ मेरा है, और ना करे तो लगता है जैसे जानता ही नहीं ,,,,,
रखने को तो रखते है ख़बर सारे जहाँ की, एक मेरे ही दिल की वो ख़बर नहीं रखते ,,,,,
अब किसीसे भी शिकायत ना रही, जाने किस किस से गिला था पहले !!!!,,,,
इतना भी नजरअंदाज मत करो मुझे, की मैं तुम्हें भूलने पे मजबूर हो जाऊं ,,,,,
कोई तो ऐसी बात करो, जिससे लगे की तुम मेरी हो ,,,,,
आँख से आँख मिला बातें बनाता क्यूँ है, तू अगर मुझसे है खफा तो छिपाता क्यूँ है ,,,,,
हम अल्फाजों के इंतजार में थे, उन्होंने खामोशी से वार कर दिया ,,,,,
तुझे कितना कहा था की मुझे अपना ना बना, अब मुझे छोड़ के दुनिया में तमाशा ना बना ,,,,,
बरसो बाद तेरे करीब से गुज़रे, जो न संभलते तो गुज़र ही जाते ,,,,,
मुह फेरना क्या तेरा धोखा नहीं था, मिलना बिछड़ना तो मुकद्दर की बात थी ,,,,,
हम तो इतने बेबस है की रूठ भी नहीं सकते, क्यूंकि मनाना तो दूर की बात है फिर शायद वो भूल ही जायेंगे ,,,,,
तू मेरे साथ होगा तो क्या कहेगा जमाना, मेरी यही एक तमन्ना और तेरा यही एक बहाना ,,,,,
आँखें थक गई है शायद आसमान को तकते तकते, वो तारा नहीं टूटता जिसे देखकर मैं तुम्हें मांग लूँ ,,,,,
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ, पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की तुम जुदा हो जाओ ,,,,,
जिसके साथ चलते हो हजारों हँसाने वाले, एक मेरे होने ना होने से क्या फर्क पड़ेगा उसे ,,,,,
वो दिन जल्दी क्यूँ नहीं गुजरता, जिस दिन तेरे से बात नहीं होती ,,,,,
खुद को माफ़ नहीं कर पाओगे, जिस दिन जिंदगी में हमारी कमी पाओगे ,,,,,
बस यही ना की तड़पकर गुजर जाएगा दिन, तुम याद नहीं करोगे तो कौन सी नहीं होगी शाम ,,,,,
एक मैं हूँ जिसे लहेरों की तरह चैन नहीं, एक वो है जो खामोश समंदर की तरह है ,,,,,
मैं ख़ामोश हूँ तो क्या हुआ, तू भी तो कभी आवाज़ दे ,,,,,
काश आइना कुछ लोगों को, उनके चहेरे के साथ औकात भी दिखा देता ,,,,,
नज़र अंदाज़ करने की वज़ह क्या है बता भी दो, मैं वही हूँ जिसे तुम दुनिया से बेहतर बताती थी ,,,,,
मैं नफरत के काबिल अगर हूँ तो मुझे छोड़ दे, पर मुझसे यूँ दिखावे की मोहब्बत ना किया कर ,,,,,
मुझे तेरे काफ़िले में चलने का कोई शौक नहीं, मगर तेरे साथ कोई और चले ये मुझे अच्छा नहीं लगता ,,,,,
वो कह गये थे की अब कभी न आएँगे, रात को सपनों में आये थे झूठे कहीं के ,,,,,
दूध में केसर सी तेरी आँखों की रंगत, ये बताती है तुम भी रात भर नहीं सोये ,,,,,
उदासियों का ये मौसम बदल भी सकता था, वो चलता तो मेरे साथ चल भी सकता था ,,,,,
काश पानी की छींटे मारने से, चेहरे की उदासियाँ धुल जाया करती ,,,,,
अगर तुम्हें पा लेते तो किस्सा इसी जन्म में खत्म हो ,,,,,
तुम्हें भी वक्त की चौखट पे नींद आ ही गई, पलट के तुम भी ना आई मेरी खुशियों की तरह ,,,,,
उस पगले को कभी मेरी मोहब्बत नजर नहीं आएगी, जिसके लिए अपने माँ-बाप तक से झूठ बोल लेती हूँ मैं ,,,,,
चल ना यार हम फिर से मिट्टी से खेलते है, हमारी उम्र क्या थी जो मोहब्बत से खेल बैठे ,,,,,
शिकवे आँखों से गिरा करेंगे अब, होठों से शिकायत करके शर्मिन्दा है हम ,,,,,
शिकायत जिंदगी से नहीं है, उससे है जो जिंदगी में नहीं है ,,,,,
बात इतनी है की तुम बहोत दूर होते जा रहे हो, और हद ये है की तुम ये मानते भी नहीं ,,,,,
कुछ शिकवें ऐसे भी है, जो खुद ही किये और खुद ही सुने ,,,,,
काश ये वक्त मेरे बस में होता, तो मैं गुजरने ही ना देती तुझसे मुलाक़ात के लम्हें ,,,,,
बहुत नजदीक होकर भी वो इतना दूर है मुझसे, इशारा हो नहीं सकता और पुकारा भी नहीं जाता ,,,,,
उसको फुरसत नहीं है दुनिया से, वो एक शख्स जो मेरी दुनिया है ,,,,,
तू मेरे साथ होगा तो क्या कहेगा जमाना, मेरी यही एक तमन्ना और तेरा यही एक बहाना ,,,,,
सूना है प्यार में लोग जान तक दे देते है, पर जो लोग वक्त नहीं देते वो जान कहाँ से देंगे ,,,,,
कदर नहीं है आज भी तुझे मेरी इस चाहत की, सिर्फ खुदा ही जानता है इंतिहा मेरी इबादत की ,,,,,
ओ आँख चुरा के जाने वाले, हम भी थे कभी तेरी नज़रों में ,,,,,
प्यार से भी तो रह सकते थे ना हम, नफरतें तो पहेले ही बहोत थी इस दुनिया में ,,,,,
हम जो ना होंगे, तो बहोत याद करोगे ,,,,,
बहोत नाराज हो शायद जो हम को इस तरह भूल बैठे हो, ना ये पूछा की कैसे हो और ना ये की हो भी या नहीं ,,,,,
चलो माना तुम्हारी आदत है तडपाना, मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो ,,,,,
बोल नहीं रहा इसका मतलब ये नहीं की भूल गया हूँ मैं, मुझे ये देखना है की तुझे मेरी याद कितनी आती है ,,,,,
बहोत अलग सा है मेरे शब्दों का हाल, एक तेरी खामोशी और मेरे लाखों सवाल ,,,,,
मेरी चाहत को दिल्लगी कहने वालों, कभी तुम भी इसी के लिए तरसोगे ,,,,,
कदर नहीं है आज भी तुझे मेरी इस चाहत की, सिर्फ खुदा ही जानता है इंतिहा मेरी इबादत की ,,,,,
ओ आँख चुरा के जाने वाले, हम भी थे कभी तेरी नज़रों में ,,,,,
प्यार से भी तो रह सकते थे ना हम, नफरतें तो पहेले ही बहोत थी इस दुनिया में ,,,,,
हम जो ना होंगे, तो बहोत याद करोगे ,,,,,
बहोत नाराज हो शायद जो हम को इस तरह भूल बैठे हो, ना ये पूछा की कैसे हो और ना ये की हो भी या नहीं ,,,,,
चलो माना तुम्हारी आदत है तडपाना, मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो ,,,,,
बोल नहीं रहा इसका मतलब ये नहीं की भूल गया हूँ मैं, मुझे ये देखना है की तुझे मेरी याद कितनी आती है ,,,,,
बहोत अलग सा है मेरे शब्दों का हाल, एक तेरी खामोशी और मेरे लाखों सवाल ,,,,,
मेरी चाहत को दिल्लगी कहने वालों, कभी तुम भी इसी के लिए तरसोगे ,,,,,
इसलिये चुप हूँ की बात और न बढ़ जाये कहीं, वरना सच ये है की कुछ गिला तुमसे है तो सही ,,,,,
काश हमारी जिंदगी में कोई ऐसा फ़रिश्ता होता, जो आपकी जिन्दगी में हमें लिख देता ,,,,,
लोगों की बातें सुनकर मुझे छोड़कर जाने वाले, हम कितने बुरे थे तुम पता तो कर लेते ,,,,,
कल मिला वक़्त तो जुल्फें तेरी सुलझा दूँगा, आज उलझा हूँ ज़रा वक़्त को सुलझाने में ,,,,,
प्यास अगर मेरी बुझा दे तो तुझे मानु मैं, वरना तू समंदर भी हो तो मेरे किस काम का ,,,,,
याद है तुमसे बात करने में, अक्सर सारी रात गुजर जाती थी ,,,,,
हम पूरा दिन ऑनलाइन रहकर उनका #wait करते है, और वो सोचते है की हम किसी ओर से बात कर रहे है ,,,,,
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ की तमाशा ना बने, तू समझता है की मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं ,,,,,
कुछ दिन से ज़िंदगी मुझे पहचानती नहीं, यूँ देखती है जैसे मुझे जानती नहीं ,,,,,
सुनो तुम यूँ हमसे खफा ना हुआ करो, पता है ना की हम कुछ भी नहीं तुम्हारे बिना ,,,,,
तेरी बातों में लाख मिठाश सही, पर जहर सा लगता है तेरा किसी और से बात करना ,,,,,
रोज मिलते है लेकिन कुछ कहते सुनते नहीं, मेरे सामने वो सिर्फ मेरी धड़कन बढ़ाने आते है ,,,,,
रात से शिकायत क्या बस तुम्हीं से कहना है, तुम ज़रा ठहर जाओ ना रात कब ठहरती है ,,,,,
तुम मुझे हँसी हँसी में खो तो दोगे, पर याद रखना फिर अपने आँसूं में ढूंढोगे ,,,,,
मेरे उदास होने पर वो कभी बात नहीं करते थे, खुद मायूस होते तो साथ मुझे भी कर देते थे ,,,,,
तेरी महफ़िल और मेरी आँखें, दोनो सदा ही भरी-भरी क्यूँ रहती है ,,,,,
तू मेरी सोच है जान, कोई और तुझे सोचे क्यूँ ,,,,,
मार दो जान से पर ऐसी सजा मत दो, की तुम हमारे सामने बैठी रहो किसी अजनबी की तरह ,,,,,
क्यूँ खेलते हो तुम हमसे मोहब्बत का खेल, बात बात में रूठ तुम जाते हो और टूटकर बिखर हम जाते है ,,,,,
तुम ज़िन्दगी की छोड़ो और अपनी बात करो, उससे भी कहीं ज्यादा तुमने सताया है मुझे ,,,,,
मेरी तक़दीर मेरे साथ नहीं, वरना सारा दिन तुझे बाहो में बसा के रखता ,,,,,
नज़र के सामने रहना और नज़र नहीं आना, तुम्हारे सिवा ये हुनर किसीको नहीं आता ,,,,,
हर बार इल्ज़ाम हम पर लगाना अच्छा नहीं, वफ़ा खुद से होती नहीं और खफ़ा हमसे हो जाते हो ,,,,,
एक बार गले मिलकर रोने जो दिया होता, एक पल तो मोहब्बत को मैंने भी जिया होता ,,,,,
रुक रुक के लोग देख रहे है मेरी तरफ, तुमने जरा सी बात को अखबार बना दिया ,,,,,
तुम्हारे साथ चलते है हजारों चाहने वाले, मेरे होने या ना होने से क्या फर्क पड़ता है ,,,,,
इन होंठो की भी न जाने क्या मजबूरी होती है, वही बात छुपाते है जो कहनी जरुरी होती है ,,,,,
मुझसे खुशनसीब है मेरे लिखे ये लफ्ज, जिनको कुछ देर तक पढेगी तेरी निगाहें ,,,,,
मेरी नींद हराम करने वाले, अब तेरे ख्वाब कौन देखेगा ,,,,,
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है शोर भी है, तूने देखा ही नहीं आँखों में कुछ और भी है ,,,,,
मेरा दिल कैसे उदास ना हो यारों, वो # Online तो है मगर गैरों के लिए ,,,,,
शिकवा तो ऐसे करते है, जैसे हम ही नसीब लिखते है ,,,,,
काश अपनी भी ऐसी ही एक रात आती, मैं देखता उसका ख्वाब और वह सच में आ जाती ,,,,,
मेरी नींद हराम करने वाले, अब तेरे ख्वाब कौन देखेगा ,,,,,
मेरी ख़ामोशी में सन्नाटा भी है शोर भी है, तूने देखा ही नहीं आँखों में कुछ और भी है ,,,,,
मेरा दिल कैसे उदास ना हो यारों, वो # Online तो है मगर गैरों के लिए ,,,,,
शिकवा तो ऐसे करते है, जैसे हम ही नसीब लिखते है ,,,,,
काश अपनी भी ऐसी ही एक रात आती, मैं देखता उसका ख्वाब और वह सच में आ जाती ,,,,,
हद से बढ़ गया है तेरा नज़र अदाज करना, ऐसा सलुक न करो की हम भुलने पे मजबुर हो जाये ,,,,,