Bewafa Status For Instagram
वो शक्श एक छोटी सी बात पे यूँ रूठ कर चल दिया, जैसे उसे सदियो से किसी बहाने की तलाश थी ,,,,,
ज़माना वफ़ादार नहीं तो क्या हुआ, बेवफा भी तो अक़्सर अपने ही हुआ करते है,,,,,
धोखा देने के लिए शुक्रिया पगली की, तुम ना मिलती तो दुनिया समझ में ना आती ,,,,,
जाते वक्त बहोत गुरूर से कहा था उसने की तुम जैसे हजार मिलेंगे, मैंने मुस्कुरा कर कहा की मुझ जैसे की ही तलाश क्यों,,,,,
गलत कहते है लोग की सगंत का असर होता है, वो बरसों मेरे साथ रही फिर भी बेवफ़ा निकली यारो ,,,,,
मुझे मालूम है मैं उसके बिना जी नहीं सकती, उसका भी यही हाल है मगर किसी और के लिये ,,,,,
लिख कर क्या करें हम अपने दिल की दास्ताँ, उस बेवफा को तो हमारी हर बात झुठी लगती है,,,,,
अगर इतनी नफरत है मुझसे तो कोई ऐसी दुआ कर, जिससे तेरी दुआ भी पूरी हो जाऐ और मेरी जिन्दगी भी,,,,,
तुम बेवफा नहीं यह तो धड़कनें भी कहती हैं, अपनी मजबूरियों का एक पैगाम तो भेज देते,,,,,
आज अजीब सी ख्वाहिश उठी है मन में. कोई मुझे टूट कर चाहे और मैं बेवफा निकलूँ,,,,,
बस यही सोच कर तूझसे मोहब्बत करता हूँ की, मेरा तो कोई नही मगर तेरा तो कोई हो,,,,,
तुम तो मुझे रुलाकर दूर चले गये, मैं किससे पूछें मेरी खता क्या है,,,,,
तूने हमें छोड़ दिया कोई बात नहीं, हम दुआ करेंगे की कोई तुझे ना छोड़े किसी और के लिए,,,,,
हो सके तो दूर रहो मुझसे, टूटा हुआ हूँ चुभ जाऊँगा,,,,,
कल उसका फोन आया ओर बहुत अकड़ के बोली, भूल जाना मुझे, मैंने भी कह दिया की कौन बोल रही हो तुम,,,,,
अगर मोहब्बत नहीं थी तो बता दिया होता, तेरे एक चुप ने मेरी ज़िन्दगी तबाह कर दी ,,,,,
हर किसी की जिंदगी का एक ही मकसद है, खुद भले हो बेवफा लेकिन तलाश वफा की है ,,,,,
कितने दर्दनाक थे वो मंज़र, जब हम बिछड़े थे, उसने कहा था जीना भी नहीं और रोना भी नहीं ,,,,,
बहोत खुबसूरत होती है एक तरफ़ा मोहब्बत भी, कम से कम कोई बेवफा तो नहीं कहलाता है ,,,,,
दोस्तो ! किसी ने मेरा दिल तोड़ा है, अब आप ही बताओ जान दूँ या जाने दूँ,,,,,
तेरे इश्क का सुरूर था जो खुद को बर्बाद किया, वरना दुनिया मेरी भी दीवानी थी,,,,,
एक दूसरे से बिछड़ के हम कितने रंगीले हो गये, मेरी आँखें लाल हो गयी और तेरे हाथ पीले हो गए,,,,,
गुजर गया वक्त जब हम तुम्हारे तलबगार थे, अब जिंदगी बन जाओ तो भी हम कबूल नहीं करेंगे ,,,,,
उनकी दुनिया में हम जैसे हजारो है, हम ही पागल है जो उसे पाकर मगरूर हो गए,,,,,
बदनाम क्यों करते हो तुम इश्क़ को ए दुनिया वालो, मेहबूब तुम्हारा बेवफा है तो इश्क़ का क्या कसूर,,,,,
अब मायूस क्यूँ है उसकी बेवफाई से ए दोस्त, तुम ही तो कहते थे की वो जुदा है सबसे,,,,,
मैं बोता रहा बन्जर ज़मीन पर इश्क के बीज, और तेरा हर वादा सरकार का मुआवजा निकला ,,,,,,,,,,
गुमराह करते तो हम भी आरजू होते किसी की, ख़ता यही हुई की दिल को खोल के रख दिया,,,,,
एक उम्र हुई मैं तो हंसी भूल चुका हूँ, तुम अब भी मेरे दिल को दुखाना नहीं भूले,,,,,
मै खुश हूँ की उसकी नफ़रत का अकेला वारिस हूँ, वरना मोहब्बत तो उसे कई लोगो से है,,,,,
सब्र रखो बहूत जल्द ही महसूस होगा तुम्हे, मेरा होना क्या था और मेरा ना होना क्या है,,,,,
मजा चख लेने दो उसे गैरों की मोहब्बत का भी, इतनी चाहत के बाद जो मेरा न हुआ वो औरों का क्या होगा,,,,,
खाए है लाखों धोखे, एक और सह लेंगे, तू ले जा अपनी डोली, हम अपने जनाजे को बारात कह लेंगे ,,,,,
ये सोचकर मैने उस से दवा नही मांगी, की दर्द दिया जिसने वो दवा क्यूं देगा ,,,,,
उसका प्यार भी क्या कमाल का था, धोखा भी खुद देती है और इलज़ाम भी खुद ही लगाती है ,,,,,
हमने उतार दिये है तेरी मोहब्बत के सभी क़र्ज, अब हिसाब तेरे दिये हुये जख्मो का होगा,,,,,
यूँ मत तड़पा Online दिखा के, अब छोड़ ही दिया है तो Block भी कर दे,,,,,
परिन्दों की फ़ितरत से आए थे वो मेरे दिल में, ज़रा पंख निकल आए तो आशियाना छोड दिया,,,,,
क्यों वफा ढूंढते हो बेगानों की बस्ती में, वो देखो बेवफा जा रही है कितनी मस्ती में,,,,,
तन्हाइयों का दिल में एक काफिला हुआ, तेरे मेरे दरम्यान जब ये फांसला हुआ ,,,,,
दुश्मन सामने आने से भी डरते थे, और वो पगली दिल से खेल के चली गई,,,,,