Bewafa Status For Facebook
हमारे दुश्मनों को हमारे सामने सर उठाने की हिम्मत नहीं, और वो पगली दिल से खेलकर चली गयी ,,,,,
पलट कर भी नई देखी तेरी बे-रूखी हमने, भुला देंगे तुजे ऐसे की तु भी याद रखेगी ,,,,,
जिस पर हम मर मिटे, उसने हमें मिटा दिया, वाह क्या खूब उसने मोहब्बत का सिला दिया,,,,,
मौसम की मिसाल दू या तुम्हारी, कोई पूछ बैठा है की बदलना किसे कहते है ,,,,,
ढूँढ रहे हो मुझसे दूर जाने के बहाने, सोचता हूँ दुनिया छोड़ कर तेरी मुश्किल आसान कर दूँ,,,,,
वो सुना रहे थे अपनी वफाओ के किस्से, हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए,,,,,
कुछ ठोकरो के बाद नजाकत आ गई मुझ में, मैं अब दिल के मशवरों पे भरोसा नहीं करता,,,,,
प्यार नही तो नफरत ही सही, कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते है,,,,,
गम इस बात का नहीं है की तुम बेवफा निकले, अफ़सोस इस बात का है, की वो लोग सच्चे निकले, जिनसे में तुम्हारे लिए लड़ा करता था ,,,,,
ये इश्क भी क्या चीज़ है ग़ालिब.. एक वो है जो धोखा दिए जाते है, और एक हम है जो मौका दिए जाते हैं ,,,,,
सब शायर खामोश है ऐसे, किसी बेवफा ने ज़हर दे दिया हो जैसे,,,,,
मैं मर जाऊ और मिले मेरा हमदम तो उससे कह देना, बिना तेरी मोहब्बत के वो पागल जी नही पाया,,,,,
सोचा था हम ही हम है उसके दिल में, गौर किया तो खुद को लम्बी कतार में पाया,,,,,
कई रिश्तों को परखा तो नतीजा एक ही निकला, जरूरत ही सब कुछ है, मोहब्बत कुछ नहीं होती,,,,,
जिंदा हूँ तब तक तो हालचाल पुछ लिया करो, मरने के बाद हम भी आजाद तुम भी आजाद,,,,,
डूबी है मेरी उंगलिया खुद अपने लहू में, ये कांच के टुकडो को उठाने की सजा है,,,,,
तुमने भी उस वक्त बेवफाई की, जब यकीन आखिरी मुकाम पर था ,,,,,
उनकी नज़रो में फर्क अब भी नही है, पहले मुड़ के देखते थे और अब देख के मुड़ जाते है ,,,,,
आओ फिर से दोहराएं अपनी कहानी, मैं तुम्हे बेपनाह चाहूँगा और तुम मुझे बेवज़ह छोड़ जाना,,,,,
बहुत भीड़ हो गयी है तेरे दिल में, अच्छा हुआ की हम वक़्त पर निकल गए,,,,,
बेवफाओ की इस दुनिया में संभलकर चलना मेरे दोस्तो, यहाँ बर्बाद करने के लिए मोहब्बत का भी सहारा लेते है लोग ,,,,,
मुझे मरना कबूल है तेरी जुदाई नहीं, बस उसके कहे एक यही लब्ज ने मुझे बर्बाद कर दिया,,,,,
आखिर तुम भी आइना ही निकले, जो सामने आया उसी का हो लिए ,,,,,
ज़िक्र बेवफाओ का था, रात सर-ए-महफ़िल में, झुका मेरा भी सर जब मेरे यार का नाम आया,,,,,
आरजू तेरी बरक़रार रहे, दिल का क्या है रहे न रहे ,,,,,
तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की, हम तो बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे,,,,,
ये तेरा वहम है की हम तुम्हे भूल जायेगे, वो शहर तेरा होगा, जहाँ बेवफा लोग बसा करते है,,,,,
गलत कहते है लोग की संगत का असर होता है, वो बरसो मेरे साथ ही रही मगर फिर भी बेवफा निकली,,,,,
चेहरे की हँसी और सब बातें उसकी झूठी थी, गये तो थे मरहम को, इक घाव और बढ़ा बैठे,,,,,
अच्छा सुनो मुझे बस इतना बता दो, इंतजार करू या बदल जाऊ तुम्हारी तरह ,,,,,
अच्छा किया जो तोड़ दिया तुमने दिल मेरा, इसको भी बहुत गुरुर था तुम्हारे प्यार पे,,,,,
मैंने पूछा उनसे की भुला दिया मुझको कैसे चुटकियाँ बजा के वो बोली… ऐसे, ऐसे, ऐसे ,,,,,
उन्हे बेफ्वा कहूँ तो तोहीन होगी वफा की, वो वफा निभा तो रहे है कभी इधर कभी उधर,,,,,
हम तो जल गए तेरी मोहब्बत में मोम की तरह, अगर फिर भी हम बेवफा है तो तेरी वफ़ा को सलाम ,,,,,
बेवफाओ की महफ़िल लगेगी, आज ज़रा व्क़्त पर आना, मेहमान-ए-खास हो तुम ,,,,,
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई, मेरे पास तो चश्मदीद गवाह भी तु ही थी,,,,,
कोशिश भी मत करना मुझे संभालने की अब तुम, बेहिसाब टूटा हूँ, जी भर के बिखर जाने दो मुझे ,,,,,
तू मेरे जनाजे को कन्धा ना देना, जिन्दा ना हो जाऊ फिर कही तेरा सहारा देख कर ,,,,,
ना पूछ मेरे सब्र की इन्तहा कहाँ तक है, तू सितम कर ले तेरी ताक़त जहाँ तक है,,,,,
जमाना वफादार नहीं तो फिर क्या हुआ, धोखेबाज भी तो हमेशा अपने ही होते है,,,,,
अगर हो इजाज़त तो तुमसे एक बात पूछ लूँ, वो जो इश्क हमसे सीखा था, अब किससे करते हो ,,,,,
हम तो तैयार है हर सजा के लिए, और क्या कहू उस बेवफा के लिए ,,,,,
उंगलियां आज भी बोझिल है गुनाहों से, तूने थामा था किसी दिन इसे आगे बढ़ के,,,,,
बेवफा लोगो को हमसे बेहतर कोन जानेगा, हम तो जले हुए कागजों से भी अल्फाज़ पढ़ लिया करते है,,,,,
फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है, बस जिक्र करने का हक़ नहीं रहा ,,,,,
मोहब्बत किसे कहते है मुझे नहीं मालूम, ये वो रिश्ता है जो मेरा उससे और उसका किसी और से है,,,,,