Bewafa Status for WhatsApp
जो हर किसी पे मर जाए, वो मर ही जाए तो अच्छा है,,,,,
कुछ लोग इतने गरीब होते है की, देने के लिए कुछ नहीं होता तो धोखा दे देते है,,,,,
मोहब्बत भी चाहते हो और मुक्म्म्ल वफ़ा भी, जनाब आप तो धुंए के बादलों से बरसात माँग रहे हो ,,,,,
जानता था की वो धोखा देगी एक दिन पर चुप रहा, क्यूंकि उसके धोखे में जी सकता हूँ पर उसके बिना नहीं,,,,,
मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफ़ा का कसूर, जो दिल के करीब आया बही बेवफा निकला ,,,,,
बहुत दिन हो गऐ मोहब्बत लफ्ज सुनकर, कल बेवफा सुना तो तुम याद आ गये,,,,,
वो बेवफा है तो बुरा ना कहो उसे, किसी और से प्यार कर लो और दफ़ा करो उसे ,,,,,
ये उनकी मोहब्बत का नया दौर है, जहाँ था कल तक मैं वहाँ आज कोई और है,,,,,
तुझे तो प्यार कभी था ही नहीं ऐ बेवफा, तूने तो अपनी तन्हायी दुर करने के लिये हमे तन्हा कर दिया,,,,,
मोहब्बत करके क्या पाया मैंने, वो कल मेरी थी आज किसी और की हो गई,,,,,
किसी को इतना मत चाहो की भुलाना सको, जिंदगी, इन्सान और मोहब्बत तीनो बेवफा होते है ,,,,,
अफसोस इस बात का नहीं की बेवफाई मीली मुझ को,अफसोस इस बात का है की तुम भी बेवफा मीली मुझ को,,,,,
काश की कोई हमारा भी वफादार यार होता, सीना तान के चलते बेवफाओ की गलियों में ,,,,,
मौसम की तरह बदलते है उस के वादे, उपर से ये ज़िद की तुम मुझ पे एतबार करो,,,,,
लोग मुझसे सिर्फ नफ़रत ही कर सकते है क्यूंकि, प्यार मैं जिससे बेशुमार करती थी, वफ़ा तो उसने भी नहीं की मुझसे ,,,,,
चलो तोड़ते है आज ज़िंदगी के सारे उसूल अपने, अब के बरस बेवफाई और दगाबाजी दोनों हम करेंगे,,,,,
तेरा इश्क भी बिहार के चुनाव जैसा था पगली, हवा इधर की थी रुझान उधर का निकला,,,,,
कया हुआ जो जिन्दगी बर्बाद कर दी, जीना भी तो उसी ने ही सिखाया था कभी ,,,,,
ले लो वापस ये आँसू ये तड़प और ये यादें सारी, नहीं हो तुम अगर मेरे तो फिर ये सजाएँ कैसी ,,,,,
बहुत दर्द देती है ये मोहब्बत ऐ खुदा, तू बेवफाओं की अलग दुनिया बना दे तेरी तो फितरत थी सबसे मुहब्बत करने की, हमने बेवजह ही खुद को खुशनसीब समझा ,,,,,
टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के, लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया,,,,,
मिल जाएगा हम को भी कोई न कोई टुट के चाहने वाला, अब सारा का सारा शहर तो बेवफा नहीं हो सकता,,,,,
एक छोटे से सवाल पर इतनी खामोशी… बस इतना ही तो पुछा है की कभी वफ़ा की है किसी से,,,,,
मुझसे नफरत करनी है तो बेशक कर, पर कमबख्त उतनी तो कर जितनी मैंने मोहब्बत की थी,,,,,
कैसे करूं मुकदमा उस पर उसकी बेवफाई का, कमबख्त ये दिल भी उसी का वकील निकला,,,,,
मिलता ही नही तुम्हारे जैसा कोई और इस शहर में,हमे क्या मालूम था की तुम एक हो और वो भी किसी और के,,,,,
उसे याद आयेगी जिस दिन मेरी मोहब्बत, वो रोयेगा बहोत फिर से मेरा होने के लिये,,,,,
कबका छोड़ दिया हमने लोगों के पीछे चलना, जिससे जितनी मोहब्बत की उसने उतना गिरा हुआ समझा हमे,,,,,
वो कहते है भुला देना पुरानी बातों को, कोई समझाए उन्हे की ईश्क कभी पुराना नहीं होता,,,,,
बडी देर कर दी मेरा दिल तोडने में, न जाने कितने शायर आगे चले गये ,,,,,
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है,,,,,
हम भी वकालत करते थे मोहब्बत वालो की,, एक बेवफा का केस आया और हम खुद कटघरे में खड़े हो गए,,,,,
इतना ऐतबार तो अपनी धड़कनो पर भी हमने ना किया, जितना उस बेवफा की बातों पर करते थे ,,,,,
नब्ज कांटी तो खून लाल ही निकला, सोचा था सबकी तरह ये भी बदल गया होगा ,,,,,
बहुत खूबसूरत है ना वहम ये मेरा, की तुम जहाँ भी हो सिर्फ मेरे हो ,,,,,
जो करते है मोहब्बत सूरत देख कर, वो करते है वफा जरूरत देख कर,,,,,
आज रास्ते में कुछ प्यार भरे पन्ने टुकड़ो में मिले, शायद फिर किसी गरीब की मोहब्बत का तमाशा हो गया ,,,,,
वो कहानी थी जो चलती रही, मैं किस्सा था जो खत्म हुआ,,,,,
छोड़ दिया हमने उसका दीदार करना हमेशा के लिए, जिसको प्यार की कदर ना हो उसे मुड़ मुड़ के क्या देखना ,,,,,
बताओ ना कैसे भुलाऊँ तुम्हे, तुम तो वाक़िफ़ हो इस हुनर से,,,,,
तेरी तलाश में निकलू तो भी क्या फायदा तू बदल गई है, खो गई होती तो अलग बात थी ,,,,,
ऐ दिल तड़पना बंद कर, अब तू रातों को सोता क्यूँ नही, वो भी किसी का हो गया, तू भी किसी का होता क्यूँ नहीं,,,,,
नहीं चाहिए कुछ भी तेरे इश्क़ की दूकान से, हर चीज में मिलावट है बेवफाई की ,,,,,
इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ, कुछ वो बेवफा हो गए,,,,,
इतने बुरे ना थे जो ठुकरा दिया तुमने हमे, तेरे अपने फैसले पर एक दिन तुझे भी अफसोस होगा ,,,,,
अब तुझसे शिकायत करना मेरे हक मे नहीं, क्योंकि तू आरजू मेरी थी पर अमानत शायद किसी और की,,,,,
तू वो ज़ालिम है जो दिल में रहकर भी मेरा न बन सका, और दिल वो काफिर है जो मुझ में रहकर भी तेरा हो गया ,,,,,
इश्क़ अऔर तबीयत का क्या भरोसा जनाब, मिज़ाज से दोनो ही दगाबाज़ है ,,,,,
बहुत दिनों से ख्वाहिश है की किसी दिन वो आए और कहे, बंद करो ये रोना, लो लौट आया मैं तुम्हारे लिए,,,,,
तेरी तलाश में निकलू तो भी क्या फायदा तू बदल गई है, खो गई होती तो अलग बात थी ,,,,,
शक तो था मोहब्बत में नुक़सान होगा, पर सारा हमारा ही होगा ये मालूम न था ,,,,,
हमने भी कभी चाहा था एक ऐसे शख्स को, जो आइने से भी नाजुक था मगर था पत्थर का,,,,,
संवर रही है अब वो किसी और के लिए, पर मैं बिखर रहा हूँ आज भी उसी के लिए,,,,,
कहने लगी है अब मेरी तनहाई भी मुझसे, मुझसे ही इश्क कर लो मैं तो बेवफा भी नही हूँ ,,,,,
जान थी वो मेरी, और जान तो एक दिन चली ही जाती है ना ,,,,,
चल कोई बात नहीं… तू जो मेरे साथ नहीं, मैं रो पडू तेरे जाने के बाद, इतनी भी तेरी औकात नहीं,,,,,
तुम्हारे बाद बस इतना हुआ है, मैं अब खिड़की से बारिश देखता हूँ ,,,,,
अब गिला क्या करना उनकी बेरुखी का, दिल ही तो था……… भर गया होगा,,,,,
अच्छा हुआ तुने ठुकरा दिया, तेरा प्यार चाहिए था एहसान नहीं,,,,,
हमने दिल वापस मांगा तो वो सर झुका कर बोली, वो तो टूट गया खेलते खेलते,,,,,
वक्त पर न जा वक्त तो हर ज़ख्म की दवा है, आज तुमने हमे भुला दिया, कल तुझे भी कोई भुला देगा ,,,,,