
Bewafa Status
तुझे क्या फर्क पड़ेगा मुझसे बिछड़ने से, सच्ची मोहब्बत तो मेरी है तेरी नहीं ,,,,,
मोहब्बत में हर चीज़ कबूल थी तेरी यारा, बस तेरी मोहब्बत का बंटवारा हमसे देखा न गया,,,,,
लाख कसमें ले लो किसीसे, छोड़ने वाले छोड़ ही जाते है,,,,,
हम आपसे थोडा गुस्से क्या हुए, आप तो सच में बेवफा हो गए,,,,,
सोचती हूँ अब खुद पर ही लगा दूँ इल्जाम, दिल मानता ही नहीं की तुम बेवफा थे,,,,,
तेरी तरह ये ढलता हुवा सुरज भी, हर रोज बेवफाई कर जाता है अपने उजाले से,,,,,
तुम चाहे बेवफा ही सही, पर आज भी तुम्हारे दर्द से मुझे दर्द होता है,,,,,
तेरी ना हो सकी तो मर जाउंगी मैं, कितना खुबसूरत वो झूठ बोलती थी,,,,,
कोई उम्मीद नहीं थी उनसे वफ़ा की हमें, बस एक जिद थी की दिल टूटे तो उनके हाथों से,,,,,
जिस पर भी यकीन करो वही छोड़ने की सोचता है, ना जाने दुनिया वालों को वफ़ा अच्छी क्यूँ नहीं लगती ,,,,,
मोहब्बत के ख्वाब जितने मरजी सजा लो तुम, बेवफाई एक झटके में सबको चकनाचूर कर देगी ,,,,,
मत रखो वफ़ा की उमीद दोस्तो इन हुस्न की तितलिओ से, एक फूल छोड़कर दूसरे फूल पर बैठना इनकी फितरत होती है,,,,,
लिखा जो खत हमने वफा के पते पर, डाकिया भी मर गया शहर ढूंढते ढूंढ़ते,,,,,
तुमने मुझे छोङ दिया चलो कोई बात नहीं, लेकिन जिसके लिए मुझे छोड़ा है उसे कभी मत छोड़ना,,,,,
जनाजा उठा है आज कसमों का मेरी, एक कंधा तो तेरे वादों का भी होना चाहिए,,,,,
हमें बेवफा बोलने वाले तू भी सुन ले आज, जिनकी फितरत बेवफाई होती है उनके साथ कब वफ़ा होती है,,,,,
कितना लुफ्त ले रहे है लोग मेरे इश्क का, बेवफा देख तूने तो मेरा तमाशा बना दिया,,,,,
मेरे शिकवों पे उसने हंस कर कहा, किसने की थी वफ़ा जो हम करते ,,,,,
पहले जो मुझे अपना खुदा माना करती थी, आज किसी और को अपनी ज़िंदगी बनाए बैठी है ,,,,,
अब किसी और के वास्ते ही सही, तेरे मुस्कुराने के अंदाज़ वैसे ही है,,,,,,
इतनी शिद्दत से उसने की है बेवफ़ाई, अब टूटना तो मेरे दिल का फर्ज़ बनता है ,,,,,
अपनी वफ़ा का इतना दावा ना किया कर, मैंने रूह को जिस्म से बेवफाई करते देखा है,,,,,
मेरी वफ़ाओं का मुझको सिला वो क्या देगी, मैं जानता हूँ की मजबूरियाँ गिना देगी ,,,,,
मेरे क़दम भी रुक गये उसके माथे पर सिंदूर देख कर, उसने भी देखो यारों अपनी कार का शीशा चढ़ा लिया,,,,,
आंखे बंद करके चलाना खंजर मुझ पर, कहीं मैं मुस्कराया तो तुम पहले मर जाओगे ,,,,,
ना जाने मेरी मौत कैसी होगी, पर ये तो तय है की तेरी बेवफाई से तो बेहतर होगी,,,,,
अपना था तभी तो तनहा छोड़ गया, गैर होता तो शायद वफ़ा करता ,,,,,
जब से तू दगा कर गया है, तब से मुझे अपनी परछाई से भी डर लगता है ,,,,,
अक्सर लोगों की वफ़ा तब तक होती है, जब तक कोई मतलब होता है,,,,,
डूबी है मेरी उंगलियाँ मेरे ही खून में, ये काँच के टुकड़ो पर भरोसे की सज़ा है,,,,,
वफ़ा की उम्मीद करू भी तो किससे करूँ मैं, मुझे तो मेरी जिन्दगी भी एक बेवफा ही लगती है ,,,,,
वपूरी रात रोती रही बरसात भी मेरे संग, तू तो बेवफ़ा है तुझे सोने से फुर्सत कहाँ है,,,,,
सुन बेवफा अपना दिल निकालती हूँ मैं, तूम फिर एक बार फरेब से निशाना लगाना,,,,,
अभी भी बाकी है कुछ उम्मीदें उनसे, जो मेरी सारी उम्मीदें तोड़कर चले गए ,,,,,
तुझपे तो चाहतों की इन्तेहा की थी मैंने, बता तुझे किसी और का होने की जरुरत क्या थी,,,,,
खुश तो वो रहते है जो जिस्मों से मोहब्बत करते है, रूह से मोहब्बत करने वालों को अक्सर तड़पते ही देखा है,,,,,
हाँ वो शख्स झूठा ही लगता है अब, जो कहता है तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेंगे,,,,,
कितनी भी सच्ची मोहब्बत कर लो, बेवफा लोग साथ छोड़ ही देते है,,,,,
सोच रहा हूँ की मुझे वफ़ा करने पर ऐसी सज़ा मिल रही है, तो उस बेवफ़ा का क्या होगा जिसने मुझे मिट्टी में मिलाया है ,,,,,
मैंने देखा है तुझे गैरों से दिल लगाते हुए, मेरे यकीन की कश्तिया यूँ ही तो नहीं डूबी ,,,,,
ना रखो किसीसे मोहब्बत की उम्मीद ऐ दोस्तों, ख़ुदा की कसम लोग खूबसूरत बहुत है पर वफ़ादार नहीं ,,,,,
ए बेवफा कोई सुलह करा दे, मुजे आज बड़ी तलब लगी है मुस्कुराने की,,,,,
जा पगली जी ले अपनी जिन्दगी, मैं मोहब्बत का राजा हूँ जो गद्दारों के मुह नहीं लगता,,,,,
जनाजा देखकर मेरा वो बेवफा बोल पड़ी, वही मरा है ना जो मुझ पर मरता था,,,,,
ना जाने वो लोग कैसे होते है, जो किसीसे वफ़ा किया करते है,,,,,
किस हक़ से मांगू अपने हिस्से का वक्त तुमसे, क्यूंकि ना ये मेरा है और ना ही तुम मेरे हो,,,,,
एक बार भूल से ही कहा होता की हम किसी और के भी है, खुदा कसम हम तेरे साये से भी दूर रहते,,,,,
कोई जब दगा देता है किसीको, तो तुम्हारी याद और भी आती है,,,,,
पिंजरे में कैद करो या हमारे पर काटो ए बेवफा, हम तो तुम्हारे जाल में फसे हुए परिंदे की तरह है ,,,,,
मुझको छोड़ने की वजह तो बता देते, मुझसे नाराज थे या मुझ जैसे हजारों थे ,,,,,
लाश पता नहीं किस बदकिस्मत की थी, मगर क़ातिल के पैरो के निशान बड़े हसीन थे,,,,,
सिर्फ तुम्हें चाहा और हद से ज्यादा चाहा, बस यही वजह बनी जिन्दगी बरबाद करने की ,,,,,
हर कोई तेरे आशियाने का पता पूछता है, न जाने किस किस से वफा के वादे किये है तूने ,,,,,
क्या ज़रुरत थी चोट-ए-बेवफाई की, नादान दिल झूठे वादों में ही खुश था ,,,,,
फिर एक दिन ऐसा भी आया जिन्दगी में, की मैंने तेरा नाम सुनकर मुस्कुराना छोड़ दिया ,,,,,
उसने,ना जाने किस कालेज से ली थी मोहब्बत की डिग्री की मुझसे किये सारे वादे फर्जी निकले ,,,,,
उन्हें इश्क़ हुआ था, मुझे आज भी है,,,,,
तुम बेवफा होकर भी कितने अच्छे लगते हो, रब जाने तुम में वफा होती तो क्या होता ,,,,,
क्या थी,उसने मुझसे पूछा की तुम्हारी सबसे बड़ी गलतफहमी मैंने कहा की तुमसे वफ़ा की उम्मीद करना ,,,,,
चलो ये जिन्दगी भी तुम्हारे नाम करते है, सूना है बेवफा की बेवफा से खूब बनती है,,,,,
इजाज़त हो तो तेरे चहेरे को देख लूँ जी भर के, मुद्दतों से इन आँखों ने कोई बेवफा नहीं देखा,,,,,
बहोत ख़ामोशी से टूट गया, वो एक भरोसा जो तुझपे था,,,,,
आजकल मंदिर में भी नहीं दिखती हो, क्या खुदा भी बदल लिया है तूने ,,,,,
दर्द उस खंजर से नहीं हुआ जो मेरी पीठ में लगा, दर्द तब हुआ जब खंजर वाले हाथ को देखा,,,,,
मुद्दतें हो गयी है तुमसे वफ़ा करते हुए, शर्म सी आती है अब तो तेरे लिए दुआ करते हुए ,,,,,,
हो सके तो वक्त पे लौट आना ए बेवफा, वरना मेरी साँसो की जगह मेरी राख मिलेगी ,,,,,
कितने आसान लफ्जों मे कह गई मुझे, सिर्फ दिल ही तोड़ा है कौन-सी जान ले ली तेरी ,,,,,
तेरी हजार गलतियाँ माफ़ है, लेकिन बेवफाई एक भी नहीं ,,,,,
बेवफा भी नहीं कह सकते उस ज़ालिम को, प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था,,,,,
ऐ बेवफा चल एकबार देख पीछे मुड़कर, मैं जरा देख तो लु की वो इश्क ही था या सिर्फ एक धोखा,,,,,
डर रहा हूँ आजकल मैं वफाओं से, लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं की हम बेवफा है,,,,,
मिटा दे उसकी तस्वीर मेरी आँखों से ऐ खुदा, अब तो वो मुझे ख्वाबों में भी अच्छी नहीं लगती ,,,,,
क्या मिला उस बेवफा को हमसे नाता तोड़ कर, आज खुद भी तनहा फिर रहा है हमको तनहा छोड़ कर,,,,,
उस बेवफा ने फ़िर से सलाम भेजा है, उसकी फिर किसीसे बिगड़ गयी होगी,,,,,
डूबी है मेरी उंगलिया खुद अपने लहू में, ये कांच के टुकडो को उठाने की सजा है,,,,,
तुम मत करो रातों को जागने की कोशिश, बेवफा हो तुमसे नहीं होगा,,,,,
पिछले बरस था खौफ तुझे खो ना दूँ, अब के बरस दुआ है तेरा सामना ना हो,,,,,
तराजू मोहब्बत का था, बेवफाई भारी पड गयी,,,,,
डालना अपने हाथों से कफन मेरी लाश पर, की तेरे दिए जखमों के तोहफे कोई और ना देख ले,,,,,
उन्हे याद तो हम भी आते ही होंगे, वफाओं का जब कहीं जिक्र होता होगा,,,,,
कोई ऐसा कानून भी बना दो दोस्तों, की जो बेवफा हो जाए उसे कोई ना अपनाए ,,,,,
दूर गगन में उड़ कर भी लौट आते है, परिंदे इंसान की तरह बेवफ़ा नहीं होते,,,,,
जिनकी फितरत में हो धोखा देना, वो लोग चाहकर भी बदल नहीं सकते,,,,,
चलो ये जिन्दगी भी अब तुम्हारे नाम करते है, सूना है बेवफा की बेवफा से खूब बनती है,,,,,
कोई तुझसा ही तुझको मिले, वास्ता हमको इंतकाम से नहीं अब,,,,,
उसको बेवफा कहकर अपनी ही नजर में गिर जाते है,,,,,